Simran Ansari

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द हाॅन्टिंग मर्डर्स : पार्ट - 9




"वह वह उधर है सांप उस तरफ, देखा था मैंने उधर ही कहीं चला गया" - तृषा ने चिल्ला कर एक तरफ उंगली से इशारा करते हुए मोहित से बताया

लेकिन तृषा यह बात जितना ही चिल्ला कर एक्साइटिड होते हुए यह बात बोली, मोहित उतना ही शांत और ठंडा रिएक्शन देते हुए बोला - "हां, तो कौन सी बड़ी बात है यहां पर सांप का दिखना, इतने सारे पेड़ और झाड़ियां हैं, जंगल के करीब है यह घर, शहर और आबादी से इतना दूर तो सांप का दिखना कौन सी बड़ी बात है, और इस तरह मत चिल्लाना प्लीज यार नेक्स्ट टाइम से!" - मोहित उसकी बात पर एकदम लापरवाही से बोला

"क्या यार! मुझे भी काट लेता सांप तो कल चौथी लाश क्या पता मेरी मिलती इस घर से।" - मोहित के ऐसे अंदाज़ पर तृषा मुंह बनाती हुई बोली

"डर कर भाग गया सांप तो तुझे देख कर, अब ना आने वाला जब तक तू है यहां पर।" - मोहित हंसते हुए बोला

"यहां पर कुछ और भी है लेकिन सांप जैसा ही, शायद कोई मरा हुआ सांप... देखो!" - तृषा उस तरफ से और आगे बढ़ती हुई बोली जहां पर उस ने अभी कुछ देर पहले सांप दिखा था।

"वेट तृषा! टच मत करना, किसी भी चीज को।" - मोहित जल्दी से उस की तरफ बढ़ कर उसे रोकता हुआ बोला

"लेकिन यह है क्या?" - तृषा ने उस अजीब सी चीज़ की तरफ़ देखते हुए मोहित से पूछा

"स्नेक स्किन है, जो चेंज होती है! देखने में तो वही लग रहा है यही देखा था तूने थोड़ी देर पहले भी या कोई जिंदा सांप भी था?" - इस बार मोहित ने थोड़ा सीरियस होते हुए तृषा से पूछा

"जिंदा था यार! चलते हुए देखा था, यह देख निशान भी तो बना हुआ है जमीन पर, क्योंकि इतनी धूल और मिट्टी है यहां पर।" - तृषा ने जमीन पर बने सांप के रेंगने के निशान मोहित को दिखाते हुए कहा

"सांपों का होना तो आम बात ही है ऐसी जगह पर, लेकिन फिर भी कुछ तो गलत है।" - मोहित वह सब देख कर थोड़ा सोचते हुए बोला

"अगर सांप के काटने से हुई होंगी वह तीनों मौतें, तो मर्डर केस किस पर बनेगा फिर सांपों पर?" - तृषा हंसते हुए मज़ाक में यह बात बोल गई लेकिन मोहित को उस की इस बात पर बिल्कुल हंसी नहीं आई बल्कि उल्टा वह उसे घूर कर देखने लगा।

"अच्छा सॉरी! लेकिन यह पॉसिबल भी तो हो सकता है कि सांप के काटने से मरे हो, वह तीनों लोग जो यहां पर आए थे इसीलिए तो कोई और चोट का या किसी तरह के मारने का निशान नहीं मिला पुलिस को उन की बॉडीज पर।" - तृषा भी इस बार थोड़ा सीरियस होती हुई बोली

"इतना सिंपल नहीं है यार! अगर सांप के काटने से डेथ हुई होती, तो फर्स्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ही पता चल जाता और फिर यह भी तो सोचने वाली बात है वह तीनों इंसान आखिर यहां पर करने क्या आए होंगे जब कि इस घर के हांटेड होने की अफवाह और यह सांप भी है यहां पर? कोई खुद से तो मरने नहीं आएगा ना यहां, कुछ और ही बात है जो नजर में नहीं आ रही अब तक।" - तृषा के डाउट पर मोहित उसे सारी बातें समझाता हुआ बोला

"चलो मतलब सांप तो बाइज्जत बरी हुए केस से.." - तृषा फिर से थोड़े मजाकिया लहजे में बोली तो मोहित भी इस बार मुस्कुरा दिया और वह दोनों घर में और अंदर की तरफ बढ़ने लगे, लेकिन तभी उन्हें पुलिस जीप के सायरन की आवाज सुनाई दी।

तो दोनों एक दूसरे के चेहरे की तरफ देखते हुए एक साथ बोले - "पुलिस! यहां इस वक्त?"

"अब हम क्या करेंगे मोहित?" - तृषा थोड़ी परेशान होती हुई बोली

"निकलो यहां से, जल्दी हमें अभी पुलिस की नज़र में नहीं आना है; नहीं तो बार-बार अड़ंगा डालेगी पुलिस हमारे रास्ते में।" - मोहित तृषा की तरफ देख कर बोला तो तृषा ने भी हां में अपना सर हिलाया।

और फिर वह दोनों वहां से बाहर निकलने की जगह ढूंढने लगे क्योंकि पुलिस तो मेन गेट से ही अंदर आएगी इसलिए वह दोनों चाह कर भी उस तरफ नहीं जा सकते थे, आखिरकार जिस कमरे में वह दोनों थे, वहां पर भी एक खिड़की दिखाई दी जो कि घर के पीछे की तरफ़ खुलती थी।

"तृषा वो उधर देखो... उस तरफ जल्दी करो।" - मोहित की नज़र जैसे ही उस खिड़की पर पड़ी, उस ने तृषा को उस तरफ दिखाते हुए कहा

"हां, चलो जल्दी निकलते हैं।" - तृषा भी जल्दी से खिड़की के पास आई और फिर वह दोनों खिड़की से कूद कर उस घर से बाहर निकल गए और बाहर निकलते वक्त उन दोनों को घर के अंदर आते हुए दो पुलिस वालों की पीठ दिखाई दी।

"सिर्फ दो पुलिस वाले..." - उन दोनों को देख कर तृषा थोड़ी हैरानी से बोली

"हर वक्त पूरी टीम ले कर थोड़ी ना आएंगे, चलो अब यहां से?" - तृषा की बात पर मोहित बोला और फिर वह दोनों छिपते हुए बाउंड्री वॉल से कूद कर बाहर आ गए और बिना पुलिस वालों की नज़रों में आए वहां से काफी दूर आ गए।

"क्या सर कोई भी तो नहीं है यहां पर, लगता है बेवकूफ बनाया किसी ने कॉल पर।" - नीरज के साथ ही खड़ा हुआ मयंक चारों तरफ नज़र घुमाते हुए बोला

"नहीं, यह बोलो कि अब कोई भी नहीं है यहां पर!" - मयंक की बात काटते हुए नीरज ने कहा

"क्या मतलब सर!" - मयंक को समझ नहीं आया तो उस ने पूछा

"मतलब हमारे आते ही या फिर उससे थोड़ी देर पहले ही यहां से चले गए वह लोग जो कोई भी था यहां पर" - नीरज ने जमीन की तरफ घूरते हुए मयंक को पूरी बात बताई

"क्या करने आए होंगे वह लोग यहां पर, सबूत मिटाने या फिर कुछ ढूंढने?" - मयंक ने सवाल किया

"या फिर कुछ और ही..." - नीरज थोड़ा सोचते हुए बोला

"लेकिन पता कैसे चलेगा?" - मयंक ने फिर से सवाल किया

"ढूंढो ध्यान से, कुछ तो मिलेगा ही" - आगे की तरफ बढ़ता हुआ बोला

"ओके सर!" - बोलते हुए मयंक भी काम पर लग जाता है।

मयंक और नीरज एक दूसरे से काफी दूर पर चले जाते हैं कि तभी वो बल्ब फिर से बंद हो जाता है और उस घर में काफी अंधेरा हो जाता है।

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"थैंक गॉड बच गए!" - घर से काफी दूर निकल आने पर तृषा अपने घुटनों पर हाथ रख कर एक जगह रुकती हुई बोली

"थैंक्स टू मोहित बोल, मैंने बचाया और मैं ही बचाता हूं हमेशा तुझे और चल यहां क्यों रुक गई।" - मोहित तृषा को रुका हुआ देखकर बोला

"मैं नहीं चल रही अब और इतनी दूर तो आ गए, घर तक पैदल ले जाएगा क्या?" - तृषा हांफती हुई बोली

"जितना तू चली है उतना ही तो मैं भी चला हूं लेकिन तेरे नखरे यार! खत्म ही नहीं होते कभी, रुक कैब बुक करता हूं।" - बोलते हुए मोहित ने अपना मोबाइल निकाला और कैब बुक करने लगा।

"बाइक ठीक करवा ले यार अपनी, इस तरह कैब से आएंगे जाएंगे तो पुलिस को 2 मिनट भी नहीं लगने हैं हमारे बारे में पता चलने में।" - तृषा उसे एडवाइज देती हुई बोली

"लग जाने दे पता, हम कौन सा कोई मर्डर करके भाग रहे हैं हम भी तो अपना काम ही कर रहे हैं ना पुलिस की तरह।" - मोहित उस की बात का जवाब देते हुए बोला

"लेकिन फिर भी बाइक ठीक करवा ले ना अपनी, क्या है रोज़ रोज़ का..." - तृषा फिर से बोली

"हां, गेराज में ही है बन जाएगी कल तक।" - मोहित ने कहा तो उस की बात सुन कर तृषा को थोड़ी तसल्ली हुई।

और इतनी देर में मोहित की बुक की हुई कैब भी वहां पर आ गई और वह दोनों ही उस कैब में बैठ गए, मोहित ने पहले तृषा को उस के पीजी ड्राप किया और फिर अपने फ्लैट पर चला गया।

"कहां रहता है यार तू मोहित! यह ले तेरे नाम एक कुरियर आया था।" - फ्लैट के अंदर आते ही मोहित का फ्रेंड सुमित उसे एक बॉक्स पकड़ता हुआ बोला जो की पैक था।

"बस वही... काम पर ही रहता हूं, वैसे तू भी गया नहीं अब तक अपने काम पर!" - मोहित ने सुमित के हाथ से वह बॉक्स लेते हुए उस की तरफ देखकर पूछा और फिर वह बॉक्स मोहित ने टेबल पर रख दिया।

"हां, बस निकल ही रहा हूं।" - सोफे पर बैठ कर अपने जूते पहनता हुआ सुमित बोला और फिर पूरा रेडी हो कर वो वहां से निकल गया।

मोहित ने उस के जाने के बाद, फ्लैट का दरवाजा बंद किया और अपने जूते उतारने लगा।

फिर उस ने अपने लिए कॉफी बनाई, और हाॅल में बैठकर कुछ सोचते हुए कॉफी पीने लगा, तभी उसकी नज़र उसी बॉक्स पर पड़ी जो घर के अंदर आते ही सुमित ने उसे दिया था।

तो मोहित ने अपना कॉफी मग साइड में रख दिया और वह बॉक्स उठाकर उसे खोलने से पहले चारों तरफ से अलट पलट कर देखने लगा।

लेकिन फिर भी उसे बाहर से किसी का भी नाम और पता लिखा हुआ दिखाई नहीं दिया तो आखिरकार उस ने वह बॉक्स खोल कर देखा।



क्रमशः

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1 Comments

देविका रॉय

25-Feb-2022 05:36 PM

बहुत खूब सस्पेक्टिव कहानी है आपकी

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